अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव एक बार फिर बढ़ गया है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने की घोषणा की है।
टैरिफ बढ़ोतरी का कारण
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम चीन की अनुचित व्यापार प्रथाओं और बौद्धिक संपदा की चोरी के जवाब में उठाया गया है। अमेरिका का आरोप है कि चीन अमेरिकी कंपनियों की तकनीक चुराकर अपने उद्योगों को लाभ पहुंचा रहा है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन बताया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वे उचित प्रतिक्रिया देंगे, जिसमें अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाना शामिल हो सकता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और गहरा सकता है।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
इस टैरिफ बढ़ोतरी से वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में विशेष रूप से गिरावट आई है। निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे बाजार में अस्थिरता का माहौल है।
भारत पर प्रभाव
भारत पर इस टैरिफ बढ़ोतरी का प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित हो सकता है, क्योंकि भारत का अमेरिका और चीन दोनों के साथ व्यापारिक संबंध हैं। हालांकि, वैश्विक आर्थिक मंदी की स्थिति में भारतीय निर्यात और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को बातचीत के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर रह सके। यदि टैरिफ युद्ध जारी रहता है, तो यह वैश्विक मंदी का कारण बन सकता है, जिससे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी।