हाल ही में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण तख्तापलट जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, और अब एक और मुस्लिम देश में इसी तरह की आशंका जताई जा रही है। इस स्थिति का प्रभाव केवल उस देश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र और वैश्विक राजनीति पर असर डाल सकता है।
बांग्लादेश में अस्थिरता और तख्तापलट की घटनाएं
बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने देश को अस्थिरता की ओर धकेल दिया। सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज़ हो गए, जिससे शेख हसीना सरकार पर दबाव बढ़ा। देश में आरक्षण नीति को लेकर असंतोष गहराया, जिसके कारण व्यापक प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सरकार केवल अपने समर्थकों को फायदा पहुंचा रही है और सरकारी नौकरियों में योग्यता के बजाय राजनीतिक प्रभाव को प्राथमिकता दी जा रही है
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। प्रदर्शनकारियों के आक्रोश के कारण सेना को हस्तक्षेप करना पड़ा और कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेना पड़ा। इससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि बांग्लादेश में सेना सत्ता पर कब्जा कर सकती है
अब किस मुस्लिम देश में तख्तापलट का खतरा?
अब बांग्लादेश के बाद तुर्की और सीरिया जैसे देशों में भी तख्तापलट की संभावनाएं जताई जा रही हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन लंबे समय से अपनी सत्ता को मजबूत कर रहे हैं और सेना पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। हालांकि, सीरिया में चल रहे संघर्ष और तुर्की की सैन्य गतिविधियों ने क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा दी है। तुर्की और सीरिया के बीच बढ़ते तनाव के कारण तुर्की की सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश कर रही है
विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की सरकार इस स्थिति का फायदा उठाकर अपनी सेना का प्रभाव और विस्तार करना चाहती है। तुर्की ने सीरियाई कुर्द बलों के खिलाफ अभियान चलाया है और अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सैन्य कार्रवाई कर रही है। इस बीच, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की स्थिति भी कमजोर होती जा रही है, जिससे वहां भी सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं
वैश्विक प्रभाव और संभावित नतीजे
अगर किसी और मुस्लिम देश में तख्तापलट होता है, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। इससे मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी।
- आर्थिक प्रभाव: निवेशकों की अनिश्चितता बढ़ेगी, जिससे शेयर बाजारों में गिरावट आ सकती है।
- राजनीतिक प्रभाव: इस्लामिक देशों में सत्ता संघर्ष और बढ़ सकता है, जिससे नए गठबंधन बन सकते हैं।
- सुरक्षा पर असर: आतंकवादी संगठनों को अस्थिर माहौल का फायदा मिल सकता है, जिससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।