भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में हाल के दिनों में तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी उद्योग संगठनों ने भारत से आयात शुल्क कम करने और व्यापार बाधाओं को हटाने की मांग की है। अमेरिकी कंपनियों का कहना है कि भारत में कई प्रकार के व्यापारिक प्रतिबंध और ऊँचे आयात शुल्क उनके निर्यात को प्रभावित कर रहे हैं। इसको लेकर अमेरिका के व्यापार संगठनों ने बाइडन प्रशासन से भारत पर दबाव डालने की अपील की है
क्या है अमेरिका की मांग?
अमेरिकी उद्योग संगठन यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स (USCC), कोलिशन ऑफ सर्विसेज इंडस्ट्रीज (CSI) और हार्ले डेविडसन सहित कई कंपनियों ने भारत सरकार से मांग की है कि वह आयात शुल्क को कम करे और व्यापार को आसान बनाए।
- अमेरिका चाहता है कि भारत अपने प्रोटेक्शनिस्ट (संरक्षणवादी) नीतियों में बदलाव करे, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में अधिक अवसर मिलें।
- अमेरिकी कंपनियों का दावा है कि भारत में आयात शुल्क काफी ऊँचा है, जिससे उनके उत्पाद भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।
- विशेष रूप से बाइक, ऑटोमोबाइल, मेडिकल इक्विपमेंट और टेक्नोलॉजी सेक्टर में अमेरिकी कंपनियां आयात शुल्क कम करने की मांग कर रही हैं।
भारत का पक्ष क्या है?
भारत सरकार का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वह अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।
- सरकार का मानना है कि आयात शुल्क को ऊँचा रखने से घरेलू कंपनियों को फायदा होगा, जिससे भारतीय उद्योग और रोजगार बढ़ेगा।
- भारत ने हाल ही में चीन से आने वाले कुछ उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है, ताकि सस्ते चीनी उत्पादों से स्थानीय बाजार को बचाया जा सके
- भारत ने यह भी कहा कि अमेरिका को डब्ल्यूटीओ (WTO) के नियमों का पालन करना चाहिए, और बिना दबाव बनाए व्यापारिक वार्ता करनी चाहिए।
भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर असर
- अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारों में से एक है, और दोनों देशों के बीच 2023-24 में 200 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ।
- अगर यह तनाव बढ़ता है, तो इससे टेक इंडस्ट्री, फार्मा, ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र पर असर पड़ सकता है।
- अमेरिका अगर भारत पर व्यापार प्रतिबंध लगाता है, तो आईटी सेक्टर और स्टार्टअप्स को झटका लग सकता है, क्योंकि भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
भविष्य में क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच जल्द ही उच्च-स्तरीय बातचीत हो सकती है, जिसमें टैरिफ कटौती, व्यापार समझौते और निवेश को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि, यह स्पष्ट है कि अमेरिका चाहता है कि भारत व्यापार को और अधिक उदार बनाए, जबकि भारत अपनी घरेलू नीतियों को प्राथमिकता देना चाहता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपने आर्थिक हितों को संतुलित करने के लिए कैसे काम करते हैं।