भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ हफ्तों से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली देखने को मिल रही है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है। मार्च 2025 के तीसरे सप्ताह तक, एफआईआई ने ₹30,015 करोड़ की निकासी की, और पूरे 2025 में अब तक यह आंकड़ा ₹1.42 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है
विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण
एफआईआई की इस बिकवाली के पीछे कई बड़े कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:
- वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने लगातार ब्याज दरें बढ़ाई हैं, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी निकालकर विकसित बाजारों की ओर जा रही है। - डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी
डॉलर इंडेक्स में मजबूती के चलते विदेशी निवेशक अपने पैसे अमेरिकी बाजारों में निवेश करने लगे हैं। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.5% से अधिक हो गई है, जिससे भारतीय बाजारों का आकर्षण कम हुआ है। - भविष्य में कॉरपोरेट ग्रोथ को लेकर चिंता
भारतीय कंपनियों की कमाई में अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि और महंगे वैल्यूएशन के कारण एफआईआई ने अपने निवेश निकालने शुरू कर दिए हैं। - चीन और जापान के बाजारों में सुधार
चीन और जापान की सरकारों द्वारा नई आर्थिक नीतियों के कारण वहां के बाजारों में निवेशकों का रुझान बढ़ा है, जिससे भारत से पूंजी निकासी हो रही है।
बाजार पर असर
विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई।
- सेंसेक्स में 700 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 72,000 के नीचे बंद हुआ।
- निफ्टी 23,500 के स्तर से नीचे फिसल गया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ
- टेक और बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स में सबसे अधिक बिकवाली देखी गई।
भारतीय बाजार की संभावनाएं
हालांकि, घरेलू निवेशकों (DII) ने इस गिरावट के बावजूद बाजार को संभालने की कोशिश की है। सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश बढ़ाने की योजना से लॉन्ग टर्म में बाजार को फायदा हो सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और रुपए को स्थिर बनाए रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिससे आने वाले महीनों में एफआईआई की बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
निष्कर्ष
वर्तमान में, भारतीय बाजार अस्थिर दौर से गुजर रहा है, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से छोटे निवेशकों को नुकसान हो सकता है। हालांकि, मजबूत आर्थिक नीतियों और घरेलू निवेशकों के समर्थन से लंबी अवधि में बाजार की स्थिरता लौट सकती है। निवेशकों को सावधानीपूर्वक अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए और बाजार में हो रहे बदलावों पर नजर रखनी चाहिए।