केंद्र सरकार आगामी बजट में कर्मचारी राज्य बीमा निगम यानी ईएसआईसी के तहत नियोक्ताओं की तरफ से दिए जाने वाले योगदान से कुछ समय के लिए मुक्त करने का ऐलान कर सकती है। इसके पीछे मकसद नियोक्ताओं के हाथ में अतिरिक्त लिक्विडिटी मुहैया कराना है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी पर रख सकें।
हिंदुस्तान को मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के पास इस बारे में उद्योग जगत की तरफ से प्रस्ताव भेजा गया है जिस पर विचार किया जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक नई नौकरी देने पर कंपनियों को ईएसआईसी योगदान से दो से तीन साल तक के लिए मुक्त रखा जाए। हालांकि इसमें कर्मचारियों की तरफ से दिए जाने वाले योगदान में कमी नहीं होगी।
21 हजार रुपये तक सैलरी वाले कर्मचारी इस दायरे में
मौजूदा समय में कंपनियों को कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए उनकी सैलरी का 3.25 फीसदी हिस्सा ईएसआईसी में देना होता है। वहीं इस मद में 0.75 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी से भी जाता है। मौजूदा समय में 21 हजार रुपये तक सैलरी वाले कर्मचारी इस दायरे में आते हैं। इससे कर्मचारियों को आर्थिक और बीमा लाभ मिलता है।
कम आय वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने ये बीमा योजना उपलब्ध करा रखी है। इसका फायदा निजी कंपनियों, फैक्टरियों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलता है। ईएसआईसी के तहत मुफ्त इलाज सुविधा का लाभ लेने के लिए ईएसआई डिस्पेंसरी अथवा हॉस्पिटल जाना होता है। इसके लिए बाकायदा ईएसआई कार्ड बनता है। कर्मचारी इस कार्ड या फिर कंपनी से लाए गए दस्तावेज के आधार पर स्कीम का फायदा ले सकता है।
ईएसआई स्कीम संचालन करने की जिम्मेदारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की है। इसके दायरे में वे सभी कंपनी और प्रतिष्ठान आते हैं, जहां 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं। हालांकि कुछ राज्यों में 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी वाले प्रतिष्ठान इस योजना के दायरे में आते हैं।