मध्य प्रदेश (MP) में शराब ठेकों के आवंटन में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल करके ठेकों का अवैध रूप से वितरण किया गया। इस मामले में ठेकेदारों, आबकारी विभाग और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा हुआ है।
कैसे हुआ घोटाला?
MP के रीवा जिले में शराब ठेकों के आवंटन के दौरान फर्जी बैंक गारंटी का उपयोग किया गया, जिसके कारण सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। सरकारी नियमों के अनुसार, शराब के ठेके लेने के लिए ठेकेदारों को एक निश्चित राशि की बैंक गारंटी जमा करनी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर भुगतान करेंगे और कोई वित्तीय गड़बड़ी नहीं होगी। लेकिन इस मामले में, कुछ ठेकेदारों ने बैंक अधिकारियों और जिला आबकारी विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत की और शराब के ठेके हासिल कर लिए
अधिकारियों की संलिप्तता
जांच में सामने आया कि इस घोटाले में केवल ठेकेदार ही नहीं, बल्कि आबकारी विभाग और जिला सहकारी बैंक के अधिकारी भी शामिल थे। उन्होंने जाली दस्तावेजों को वैध ठहराकर ठेकों का आवंटन कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
घोटाले से हुए नुकसान
इस घोटाले के कारण सरकार को दोहरे स्तर पर नुकसान हुआ:
- राजस्व की हानि: शराब ठेकों से हर साल सरकार को करोड़ों रुपये की कमाई होती है, लेकिन इस घोटाले के कारण यह राशि सरकारी खजाने में नहीं पहुंच सकी।
- निष्पक्ष व्यवस्था पर सवाल: सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। फर्जी बैंक गारंटी के जरिए ठेके हासिल करने वाले ठेकेदारों ने अनुचित लाभ उठाया, जिससे सही तरीके से टेंडर भरने वाले अन्य कारोबारियों के साथ अन्याय हुआ।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस घोटाले के उजागर होने के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। आबकारी विभाग और बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है। इसके अलावा, जिन ठेकेदारों ने फर्जी बैंक गारंटी का उपयोग किया, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
राजनीतिक विवाद
इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस घोटाले को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “भ्रष्टाचार राज्य में चरम पर है और सरकार इसे रोकने में विफल रही है।” वहीं, सरकार का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नई नीतियां लागू की जाएंगी।
निष्कर्ष
MP में शराब ठेकों के आवंटन में हुआ यह घोटाला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है। यह मामला केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार की ओर से यदि कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में ऐसे घोटाले दोबारा होने की आशंका बनी रहेगी।