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सोने और चांदी के दाम में भारी उछाल: क्या हैं इसके कारण?

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भारतीय सर्राफा बाजार में सोने और चांदी की कीमतें लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। हाल ही में सोना ₹700 बढ़कर ₹86,843 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जबकि चांदी ₹1,474 महंगी होकर ₹98,100 प्रति किलो हो गई। बीते 72 दिनों में सोने के दाम ₹10,681 तक बढ़ चुके हैं। यह तेजी कई वैश्विक और घरेलू कारकों के कारण देखी जा रही है।


सोने और चांदी की कीमतों में तेजी के प्रमुख कारण

1. वैश्विक अनिश्चितता और सुरक्षित निवेश का रुझान

सोना और चांदी को हमेशा ही “सुरक्षित निवेश” माना जाता है। जब भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता, महंगाई या मंदी का खतरा बढ़ता है, तब निवेशक शेयर बाजार के बजाय सोने और चांदी में निवेश करना पसंद करते हैं

  • रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में जारी तनाव से सोने की मांग बढ़ गई है।
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखने के संकेत ने भी सोने की कीमतों को सहारा दिया है।

2. डॉलर में गिरावट और रुपये में कमजोरी

सोने और चांदी की कीमतें आमतौर पर डॉलर की मजबूती या कमजोरी से प्रभावित होती हैं। जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें ऊपर जाती हैं।

  • हाल ही में डॉलर इंडेक्स में गिरावट देखी गई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें बढ़ी हैं।
  • भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, जिससे आयातित सोना महंगा हो गया है।

3. केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीदारी

विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी कर रहे हैं, जिससे इसकी कीमतों में इजाफा हो रहा है।

  • चीन, रूस और भारत जैसे देशों के केंद्रीय बैंक अपनी विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा रहे हैं
  • भारत में RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) भी अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ा रहा है, जिससे बाजार में मांग बनी हुई है।

4. मांग और आपूर्ति में असंतुलन

  • शादी और त्योहारों का सीजन आने के कारण भारत में सोने और चांदी की मांग बढ़ गई है।
  • वैश्विक स्तर पर खनन गतिविधियों में कमी और बढ़ती मांग ने सोने और चांदी की कीमतों को ऊपर धकेला है।

क्या सोने और चांदी के दाम और बढ़ सकते हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक अस्थिरता बनी रहती है और डॉलर कमजोर होता है, तो आने वाले महीनों में सोने की कीमत ₹90,000 प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है, जबकि चांदी ₹1,05,000 प्रति किलो तक पहुंच सकती है।

हालांकि, यदि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है या भारतीय रुपया मजबूत होता है, तो सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट भी आ सकती है


निष्कर्ष

वर्तमान में सोने और चांदी की कीमतें वैश्विक आर्थिक कारकों, मांग-आपूर्ति और निवेश के रुझानों पर निर्भर कर रही हैं। यदि आप निवेशक हैं, तो यह लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश का सही समय हो सकता है। हालांकि, शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के लिए कीमतों में उतार-चढ़ाव का ध्यान रखना जरूरी होगा।

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